परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने का काम लड़कियां बखूबी कर रही हैं। हुनर को सीख कर उसे सहेजना और उसमें अपनी प्रतिभा को जोड़कर कुछ अलग करना ही इन महिलाओं का उद्देश्य है। तभी तो कारोबार की दुनिया में अपना मुकाम हासिल करने का सपना पूरा किया बल्कि युवा पीढ़ी की मार्गदर्शक भी बन गईं। चलिए जानें ऐसी ही कुछ युवा उद्यमी महिलाओं को जिन्होंने कठिनाइयों के रास्ते को पूरा कर अपना लक्ष्य हासिल किया और कमजोर वर्ग की हजारों महिलाओं का भी भविष्य बनाने का काम किया।
मां बन गई बिजनेस वीमेन
सोनू एक ऐसा स्कूल चाहती थीं, जहां पढ़ने वाले अपने बच्चे पर हर माता-पिता नजर रख सकें। बच्चों के लिए सुरक्षित माहौल व माता-पिता की उनको लेकर चिंता को मिटाने के लिए ही वे लखनऊ में फुटप्रिंट स्कूल का कॉन्सेप्ट लेकर आईं। इस स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ प्राथमिकता ‘लाइव स्ट्रीमिंग’ को दी गई। बिजनेस वुमेन सोनू अग्रवाल का प्रयोग सफल रहा। महज तीन साल में इंदिरानगर के बाद गोमती नगर में एक और स्कूल खुल चुका है।
बिजनेस मॉड्यूल में पीढ़ियों का ख्याल
अंजलि सिंह के परिवार में सभी नौकरीपेशा हैं। वह घर की पहली सदस्य हैं, जिन्होंने उद्यमी बनने का फैसला किया। भोपाल में पैदाइश, लेकिन पढ़ाई-लिखाई लखनऊ में हुई। दस साल तक खुद मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी की। 2009 में इनके जीवन में एक बड़ा बदलाव आया और इन्होंने उस बदलाव को गले से लगा लिया। नौकरी छोड़ी और नींव पड़ी जूट फाॅर लाइफ की। इससे पर्यावरण को तो फायदा हुआ ही, कई परिवारों को काम भी मिला।
गांव की गलियों से विदेश तक
बचपन में बनाए स्केच कब अंकिता का पैशन बन गए, उन्हें इसका पता ही नहीं चला। पढ़ाई के साथ-साथ उनकी कला भी निखरती गई। कुछ समय के लिए मूर्तिकला की बारीकियां सीखने को कोर्स भी किया। इस बीच पिता ने बेटे-बेटी के बीच जिम्मेदारियां बांट दीं। होटल रमाडा की डायरेक्टर के रूप में जुट गईं पिता का सपना पूरा करने में, पर बने-बनाए रास्तों पर चलना उन्हें रास नहीं आया और अस्तित्व में आया ब्रिओ आर्ट हाउस एंड कैफे।
पर्यावरण व विरासत सहेजने पर फोकस